Rashiyo ka swabhav-Hindi

वृश्चिक राशि का स्वरुप और स्वाभाव

Vrishchik rashi

राशि स्वामी – मंगल 

वर्ग- ब्राह्मण 

दिशा- उत्तर  

जाती- स्त्री 

तत्त्व– जल

शरीर में यह राशि स्त्री और पुरुष के गुप्त अंग या प्रजनन अंग पर प्रभाव डालती है। कुंडली में लग्न की राशि वृश्चिक हो या चंद्र राशि वृश्चिक हो यानि चन्द्रमा जिस भाव में है वहा की राशि वृश्चिक हो तो उन लोगों का रंग, रूप और स्वाभाव अधिकतर कुछ इस तरह पाया जाता है। 

यह एक स्थिर राशि है जिसके कारणवश ये लोग आये दिन परिवर्तन नहीं करते और साथ में उग्र तथा गर्म गृह मंगल इसका स्वामी है तो ये लोग क्रोधी हो जाते है और हमेशा जीवन में विजय चाहते है चाहे इन्हे संदेह हो के ये कोई लड़ाई हार रहे है या कोई ऐसा कार्य जो इनके बस में नहीं है तब भी ये आखिर तक जान लगा के कोशिश करते है हार नहीं मानते। ऐसी परिस्थिति में कुछ लोग अपने स्वस्थ को भी दाव पर लगा देते है। यानि दृढ़ निश्चय कर लिया तो बस अपने आपको झोक देना इनका स्वाभाव है। अपने किये वादें भी पूरा करने का साहस रखते है। 

कद में मध्यम से लम्बे, चेहरा चौड़ा और रौबीला, हाथ भी लम्बे और दमदार, बाल घने और घुंघराले और अच्छे व्यक्तित्व वाले होते है। इस राशि की स्त्रियां भी पुरुष प्रवत्ति की होती है, स्वतंत्र विचार, अपने हिसाब से जीने की अभिलाषा, अपनी कही बात पर टिकना और सोच समझकर बोलना इनके स्वाभाव में होता है। जल तत्त्व राशि होने के कारणवश इन लोगों की कल्पना शक्ति और बुद्धि तीव्र होती है । ये लोग भावुक, आत्मस्थापक, आवेगशील, साहसी और बलशाली होते है। इनकी अपनी पसंद और ना-पसंद होती है, साफ़ बात करते है और स्वनिर्मित होते है। इस राशि के कुछ लोगों की ज़बान बड़ी सख्त होती है और मतलबी भी होते है। घर परिवार में कार्य इनकी सहमति से हो या इनकी सलाह से किये जाये तो अच्छा जीवन निभ जाता है। अगर इनके साथ कोई दुर्व्यवहार करे या इन्हे मारा जाये तो बदले की भावना उत्पन्न हो जाती है और अपना बदला लेकर ही रहते है चाहे उसके लिए बहुत लम्बा इंतज़ार ही क्यों ना करना पड़े, इनके दिल में अपने लिए किसी और के द्वेष या नफरत की भावना बहुत घेहरा असर पहुँचती है। अपने आराम और सुविधाओं पर पैसे खर्च करना पसंद करते है। 

इस लग्न में सप्तम का स्वामी शुक्र होता है इसलिए ऐसे व्यक्ति काम-वासना के पुजारी भी हो सकते है। इनका दाम्पत्य जीवन अच्छा होता है पर अगर सप्तम भाव या विवाह स्थान पर अशुभ दृष्टि हो और गुरु पीड़ित हो तो इनका सम्बन्ध अपने जीवन साथी के अलावा अन्य किसी के साथ भी बन जाता है। इनकी रूचि रहसयमय विज्ञान और आध्यात्मिक प्रयोगों में भी पायी गयी है। इस लग्न में लोग इतने विद्वान भी हो जाते है की वे अनुसंधान(research) तक पहुंच जाते है। 

इस लग्न के जातकों के कार्य क्षेत्र कुछ ऐसे हो सकते है, पुलिस, रसायन विज्ञान (chemistry), दवाइयां, सर्जरी, सेना (army), नौसेना और देश, काल, परिस्थिति के हिसाब से ये मांस का कार्य भी कर सकते है।

रूप और स्वाभाव के लिए केवल जन्म लग्न या चंद्र राशि से ही नहीं देखा जाता और गृह जो भी अशुभ या शुभ दृष्टिया या युति डालते है उनसे भी व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है यानि उनकी स्तिथि भी देखना बहुत ज़रूरी है।

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