
वक्री गृह से क्या तात्पर्य है ?
हमारे सौर मंडल में जितने भी गृह है सभी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगा रहें है, जैसा की हम सभी जानते है। आमतौर पर ऐसा समझा गया है की गृह वक्री होने का मतलब है की वह उलटी चाल चलने लगता है जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं है।
कल्पना कीजिये की सभी गृह, कोई धीरे कोई तेज़ पर सूर्य का चक्कर लगा रहे है अचानक कोई गृह “यु-टर्न” करके वापस जाता नज़र आएगा तो यह कुछ अजीब सी तस्वीर नहीं दिखी आपको अपनी कल्पना में ? तो आइये जानते है सबसे पहले की गृह के वक्री होने का व्यावहारिक अर्थ क्या है।
असल में इन सभी ग्रहों की गति हमेशा एक सी नहीं रहती। कहने का मतलब यह है की कोई भी गृह, उदाहरण के लिए बुध, अपनी जिस भी गति से चलता है वो हमेशा उसी गति से चलता रहेगा ये निश्चित नहीं है कभी वो धीमें भी हो सकते है। तो हमारा बुध गृह अपनी चाल से चल रहा था पर अब वह कुछ समय के लिए अपनी सामान्य गति से थोड़ा सा धीमा हो गया। अब हम अगर इसे अपनी पृथ्वी से देखेंगे तो हमें यह पीछे छूटता हुआ या पीछे जाता हुआ प्रतीत होगा। किंतु वह उल्टा नहीं चल रहा। बस इसी को वक्री होना कहते है।
जब गृह वक्री होता है तो उसके अपने प्रभाव होते है।
इस साल 2022 में गुरु कब वक्री होगा ?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बृहस्पति देव 29 जुलाई से वक्री चलने वाले हैं, जिससे कुछ राशियों के जीवन में खास परिवर्तन आने वाला है।
गुरु ग्रह 119 दिन तक वक्री अवस्था में रहेंगे, 24 नवंबर 2022 को वापस अपनी सामान्य स्थिति में आ जाएंगे यानि मार्गी हो जाएंगे। गुरु को धन, वैभव, संतान, सुख और विद्या आदि का कारक माना गया है।
आईये जानते है की किन राशियों में इसका लाभ मिलेगा ओर किस प्रकार का लाभ मिलेगा ?
वृषभ – इस राशि के लिए देव गुरु बृहस्पति 11वें भाव में वक्री होने वाले हैं। यह भाव आय का होता है। ऐसे में गुरु वक्री के दौरान इस राशि से संबंधित लोगों को आय में इजाफा हो सकता है। साथ ही व्यापार में अच्छे आर्थिक लाभ के योग बनेंगे। आय के नए साधन बन सकते हैं. बिजनेस में कोई बड़ी डील कर सकते हैं।
मिथुन– मिथुन राशि वालों के लिए देवगुरु बृहस्पति का वक्री होना आपके जीवन में खुशियां लेकर आएगा। इस दौरान आपकी नौकरी में बदलाव संभव है। नौकरी में प्रमोशन के योग बनेंगे। अगर आप सरकारी नौकरी में है तो आपका सम्मान अपने ऑफिस में बढ़ेगा। नए व्यापारिक संबंधों का लाभ मिलेगा। इस राशि के लिए गुरु दशम भाव में होगा जिसकी सीधी सप्तम दृष्टि चौथे भाव में होगी जिससे आपके कुछ सुख सुविधाओं पर खर्चे होंगे यानि सुख बढ़ेगा।
कर्क– कर्क राशि वालों के नवम भाव में बृहस्पति वक्री होंगे। नवम भाव में होने से गुरु की दृष्टि लग्न भाव पर भी होगी यानि कर्क राशि पर जो की गुरु की उच्च की राशि है। लग्न यानि हमारा स्वस्थ अच्छा रहेगा, अगर कर्क राशि वाले कुछ समय से किसी बीमारी से जूझ रहे थे तो काफी सम्भावना है के उसमे आराम आएगा। साथ हे जैसे की नवम भाव भाग्य का स्थान होता है तो भाग्य में नयी करवट ले सकता है। पैतृक सम्पत्ति के योग भी बन रहे है।
कुंभ – इस राशि के लिए गुरु दूसरे भाव में रहेगा। यह भाव है हमारे संचित धन और वाणी का, तो इस सन्दर्भ में फायदे होंगे। कुछ हद्द तक आपके आस पास प्रतियोगी बढ़ सकते है, हो सकता है की कार्यस्थल पर भी आपके प्रतिद्वंदी हावी हो सकते है। ये मत भूलिए की आप भी काम नहीं है और आगे बढ़ कर अपनी क्षमता दिखने का सही समय यही है। विश्वास रखिये और बढ़ते चलिए समय आपके साथ है।
मीन – इस राशि के लग्न में हे गुरु गृह गोचर कर रहें है और इसी में वक्री रहेंगे। पराक्रम बढ़ेगा और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। धन लाभ होंगे और साथ हे जो लोग अविवाहित है उनके विवाह के योग बनेंगे।
बाकि राशियों के समय भी अच्छा रहेगा बस समय थोड़ी सी परीक्षा लेगा। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से समय अनुकूल रहेगा। बृहस्पति देवगुरु है सभी भला करेंगे।