हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष को अति महत्वपूर्ण माना जाता है और लोग इसकी पूजा भी करते है। इसे अति लाभकारी माना गया है और इसका सीधा सम्बद्ध शिवजी से माना जाता है। रुद्राक्ष के बारे में हम सभी लोग बहुत कुछ जानतें है पर नहीं भी जानतें, आइये इसे धारण करने से पहले बात करते है कुछ ऐसी शंकाओं के बारे में जो शायद सभी के मन में उत्पन्न होती है।
रुद्राक्ष क्या होता है ?
रुद्राक्ष = रूद्र + अक्ष यानि शिव जी के आंसू।
माना जाता है की शिव जी की आँखों से निकले आंसू रूपी जल से हिमालय के पहाड़ो पर यह रुद्राक्ष के वृक्ष लग गए।
रुद्राक्ष पेड़ पे लगे हुए फल की घुटली है।
रुद्राक्ष को किस प्रकार इस्तेमाल में लाया जा सकता है?
रुद्राक्ष के अनेक फायदे है, धार्मिक एवं आयुर्वेदिक। इसे पहले के ज़माने से हमारे देश के कुशल वैद्य दवाइयों में इस्तेमाल करते आये है।
रुद्राक्ष को गले में लटकन की तरह और हाथ की कलाई में भी बांधा जाता है कई ज्योतिषीय उपाय के रूप में।
क्या रुद्राक्ष सच में काम करता है ?
जी हां, रुद्राक्ष एक प्राकर्तिक यन्त्र के रूप में हमारे पास इस धरती पर उपलब्ध है और यह अत्यंत चमत्कारी साबित हुआ है।
रुद्राक्ष कौन धारण कर सकता है ?
बिना किसी पक्षपात के रुद्राक्ष को किसी भी धर्म, जाती, समाज, देश, सभ्यता, लिंग, उम्र के लोग धारण कर सकते है।
शिवजी का आशीर्वाद कोई भी प्राप्त कर सकता है चाहे वो उम्र के किसी भी पड़ाव में हो या किसी भी तरह की सोच रखता हो।
रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते है ?
यह एक मुखी से लेकर पंद्रह मुखी तक होते है, उसके बाद इक्कीस मुखी भी होता है। साथ ही गणेश रुद्राक्ष और गौरी शंकर रुद्राक्ष भी इसके कुछ प्रकार है।
रुद्राक्ष के मुख से क्या तात्पर्य है ?
जिस तरह से संतरा होता है जिसमे कई सारी फाकें एक साथ लगी हुई होती है जिन्हें एक-एक करके अलग करके हम खाते है उसी प्रकार
से रुद्राक्ष का दाना देखेंगे तो उसमे हमें कई धारियां दिखाई देंगी — फांक की तरह उसके मुख दिखेंगे। जितनी धारियाँ होतीं है उतने मुख का रुद्राक्ष कहा जाता है।
असली रुद्राक्ष क्या सिर्फ नेपाल में होते है ?
रुद्राक्ष के वृक्ष पुरे हिमालय पर जगह-जगह लगे हुए है और हिमालय के पहाड़ सिर्फ नेपाल में ही नहीं भारत में भी है। रुद्राक्ष के पेड़ बिहार में भी है, रामेश्वरम से भी उत्तम रुद्राक्ष आता है, बल्कि रुद्राक्ष इंडोनेशिया से भी आता है। नेपाल के रुद्राक्ष की मान्यता ज्यादा इसलिए है क्योंकि वहां जो एक मुखी रुद्राक्ष होता है वो मिलना अत्यंत दुर्लभ है बल्कि असंभव है और उसकी महतता भी बहुत ज्यादा होती है इसलिए बाकि सभी प्रकार के रुद्राक्ष के लिए भी यह आम धारणा बानी हुई है की “नेपाली ही अच्छा होता है”, हालाँकि बाकि प्रकार के रुद्राक्ष आसानी से नेपाली मिल भी जाते है इसमें कोई शक नहीं।
रुद्राक्ष को स्त्रियां पहन सकती है ?
जी हां, रुद्राक्ष को कोई भी पहन सकता है चाहे वे स्त्री हो या पुरुष। स्त्रियां नहीं पहन सकती ऐसी धारणा सिर्फ किसी सभ्यता के लोगों की अपनी बनायीं हुई हो सकती है। किन्तु भगवान शिव तो अंतिम सत्य है वे किसी को भी अपना आशीर्वाद देने से वांछित नहीं रख रहे।
क्या मासिक धर्म के दौरान स्त्रियां इसे पहन सकती है?
जिस प्रकार से स्त्रियों का मासिक धर्म प्रकर्ति का बनाया हुआ है उसी तरह रुद्राक्ष भी प्रकृति से उत्पन्न हुआ है। इसे कोई भी कभी भी अपने पास रख सकता है। किन्तु अगर धारण करने वाले ने मन में कोई नियम बनाया है तो वे इसे अपनी श्रद्धा अनुसार लागु कर सकते है।
रुद्राक्ष का त्वचा को छूना जरुरी है ?
जी हां, रुद्राक्ष पहनने का मतलब है वह किसी भी तरह से आपके शरीर को छूना चाहिए तभी आपका शरीर उसके गुणों को सोख पायेगा।
क्या रुद्राक्ष को रात में उतार देना चाहिए?
रुद्राक्ष की सतह पर जो धारियाँ होती है वे समतल नहीं होती इस कारणवश सोते समय गले में लटका हुआ रुद्राक्ष चुभ सकता है, इसलिए इसे रात में उतार कर सोया जा सकता है और सुबह वापस पहना जा सकता है। किन्तु अगर कोई धारणकर्ता इसे पहन कर सोने में दिक्कत महसूस नहीं करते तो वे इसे पहन कर सो सकते है।
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