
Mithun rashi ka swaroop or swabhav
राशि स्वामी – बुध
वर्ग- वैश्य
दिशा- पष्चिम
जाती- पुरुष
तत्त्व- वायु
रंग- तोते के समान हरित वर्ण
इस राशि से शरीर में कंधो और हाथो का विचार किया जाता है।
यह द्विस्वभाव राशि है यानि कार्य स्थिरता से तो करते है किन्तु एक से अधिक व्यवसाय होते है।अगर ऐसे लोग अपने जीवन में ज़्यादा परिवर्तन न भी करे तब भी इनके साथ परवर्तन होते रहते है। कुंडली में लग्न की राशि मिथुन हो या चंद्र राशि मिथुन हो यानि चन्द्रमा जिस भाव में है वहा की राशि मिथुन हो तो उन लोगों का रंग रूप और स्वाभाव अधिकतर कुछ इस तरह पाया जाता है।
वैसे मिथुन एक पुरुष और विषम राशि है जिसके आधार पर इसे क्रूर कहना चाहिए किन्तु इसका स्वामी शुभ गृह है इस वजह से इसे सौम्य राशि कहा जाता है। इस राशि के जातक का शरीर संतुलित और कद आमतौर पर लम्बा या मध्यम से ज्यादा होता है। रंग सामान्य होता है, न ज़्यादा गोरा न ज़्यादा गहरा। इनकी आँखें काली और तेज़ होती है और नाक लम्बी होती है। इस राशि का स्वामी बुध है और वह बुद्धि का करक होता है जिसकी वजह से इन लोगों को पढ़ना-लिखना अच्छा लगता है, ये लोग लेखक, गणित में रूचि रखने वाले, वकील, अध्यापक, सम्पादक, पत्रकार और रिसर्च स्कॉलर भी पाए जाते है। ऐसे लोग अपना काम करने की बजाये नौकरी करते हुए ज़्यादा पाए जाते है ये अच्छे मार्गदर्शक नहीं बन पते। ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन सामान्य तौर पर अच्छा रहता है पर कुछ लोग अपने जीवनसाथी के इस प्रकार के परिवर्तनशील स्वाभाव को नहीं समझ पाते और उनमे थोड़ी अनबन रहती है। ये लोग अपनी मर्ज़ी के मालिक भी होते है अधिक चिंता करना इनके स्वाभाव में कम पाया जाता है और प्रसन्नता ज़्यादा पायी जाती है।
रूप और स्वाभाव के लिए केवल जन्म लग्न या चंद्र राशि से ही नहीं देखा जाता और गृह जो भी अशुभ या शुभ दृष्टिया या युति डालते है उनसे भी व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है यानि उनकी स्तिथि भी देखना बहुत ज़रूरी है।