
राशि स्वामी – बुध
वर्ग – शूद्र
दिशा – दक्षिण
जाती – स्त्री
तत्त्व – पृथ्वी
द्विस्वभाव राशि होने के कारण इस राशि के लोग कुछ हद्द तक परिवर्तनशील होते है पर पृथ्वी तत्त्व के कारण इनके स्वाभाव में नम्रता और ठहराव भी होता है। कुंडली में लग्न की राशि कन्या हो या चंद्र राशि कन्या हो यानि चन्द्रमा जिस भाव में है वहा की राशि कन्या हो तो उन लोगों का रंग, रूप और स्वाभाव अधिकतर कुछ इस तरह पाया जाता है।
शरीर में यह राशि कमर पर असर डालती है। कद लम्बा, शरीर दुबला-पतला, काले बाल, काली आँखें, घनी भौहें, शरीर में तेजी और फुर्ती होती है इसलिए अपनी उम्र से कम उम्र के दिखते है। बुध वाणी का कारक होता है इसलिए इनकी आवाज़ पतली और अच्छी होती है, प्यार से बात करते है। सोच समझकर काम करना, सोच समझकर धन खर्च करना और फैसला लेना इनका स्वाभाव होता है। व्यवसाय में कुशल होते है और जल्दी से ज्यादा पैसा कमाने के इच्छुक होते है। ये ईमानदार और व्यवस्थित होते है और कठिनाइयों से लड़ने की क्षमता भी इनमे अच्छी होती है। कभी कभी इच्छा शक्ति कम हो जाती है।
इस राशि के लोग डॉक्टर, लेखक, वकील, पत्रकार, अध्यापक, ज्योतिषी, लेखपाल (accountant) आदि बनते है।
परिवर्तनशील स्वाभाव होने के बावजूद इनका वैवाहिक जीवन अच्छा गुज़रता है, पर हर फैसला सोच समझकर लेने के कारण ये लोग विवाह का निर्णय लेने में भी देरी कर देते है और अगर ज़्यादा पढाई लिखाई में लगे रहे साथ में कुंडली में विवाह पर कुछ शुभ दृष्टि न होने पर ये लोग अविवाहित भी रह जाते है। कन्या लग्न की पत्नियों का यौन सम्बन्ध में ध्यान नहीं होता और अपने पति से भी यही उम्मीद रखती है, अगर कोई अशुभ दृष्टि या युति हो तो इस लग्न की पत्नियों का स्वाभाव पति की और झगड़ालू हो जाता है। कन्या लग्न के पति पत्नी पर रौब ज़माने वाले नहीं होते।
रूप और स्वाभाव के लिए केवल जन्म लग्न या चंद्र राशि से ही नहीं देखा जाता और गृह जो भी अशुभ या शुभ दृष्टिया या युति डालते है उनसे भी व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है यानि उनकी स्तिथि भी देखना बहुत ज़रूरी है।